गणतंत्र दिवस
चलो
उठो वीरो जवानों,
आज फिर से वो दिन आया है,
आज फिर से वो दिन आया है,
आज
फिर से तिरंगा लहराया है ।
नव
शुर जग में छाया है,
आज
फिर से तिरंगा लहराया है ।
आजादी
का मूल मंत्र को,
हर
जन-जन
को समझाना है ।
देश
हमारा सारे जहाँ से न्यारा
है,
नई
सोच और नया सवेरा,
इस धरती पर लाना है ।
इस धरती पर लाना है ।
नई
सोच और नई दिशा,
से ईंट से ईंट सजायेंगे,
से ईंट से ईंट सजायेंगे,
फिर
से हम देश को अपने,
सोने की चिड़ियाँ बनायेंगे ।
सोने की चिड़ियाँ बनायेंगे ।
आतंको
को धूल चटाकर,
भ्रष्टाचार मिटाना है,
भ्रष्टाचार मिटाना है,
बेरोजगारी
और
अशिक्षा,
मिटाकर गरीबी मिटाना है ।
मिटाकर गरीबी मिटाना है ।
भारत
की इस माँ बहनों का,
मिलकर लाज बचाना है,
मिलकर लाज बचाना है,
शांति
और सुरक्षा
का,
सुंदर साम्राज्य बसाना है ।
सुंदर साम्राज्य बसाना है ।
देश
की खातिर जान लुटाने,
सरहद पर है जवान खरे,
सरहद पर है जवान खरे,
क्यों
न हम इस देश के अंदर,
इन जैसा ही कर्म करें ।
इन जैसा ही कर्म करें ।
श्वेत
रंग सी शांति होगी,
केशरिया सा दमकेगा,
केशरिया सा दमकेगा,
हरियाली
सी खुशियाँ होगी,
जैसे खेत लहराता है ।
जैसे खेत लहराता है ।
चलो
उठो वीरो जवानों,
आज फिर से वो दिन आया है,
आज फिर से वो दिन आया है,
आज
फिर से तिरंगा लहराया है ।
सरिता
प्रसाद
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